30 सबसे मजेदार कहानियां – जादुई कहानियां Kids Story in Hindi

हेल्लो दोस्तों कैसे हैं आप लोग आशा करता हूँ आप सब बहुत बढ़िया होंगे। आज के इस आर्टिकल में हम बताएँगे 30 सबसे मजेदार कहानियां के बारे में बताएँगे। जिन्हें पढने के बाद आपको बहुत ही मजा आने वाला है। क्या आपको भी हिंदी में मजेदार कहानियां पढना है तो आप बिल्कुल सही जगह आये हैं। क्योंकि आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको छोटे बच्चों की मजेदार कहानियां हिंदी में लिखकर बताने वाले हैं। हमेशा से ही बच्चो को भूतों की कहानियां जादुई कहानियाँ सुनने का बहुत ही शौक रहता है। VidMate एप्प से कोई भी वीडियो डाउनलोड करें।

बच्चो को इस कहानियों को सुनने से बहुत कुछ शिख भी मिलती है। इसलिए उन्हें यह कहानियाँ सुनना और भी ज्यादा मजेदार लगता है। ज्यादातर बच्चो को जादुई कहानियाँ सुनने का ज्यादा शौक रहता है। अगर आप भी जादुई कहानियां सुनना चाहते हैं तो आपको हमारे द्वारा लिखे गए इस आर्टिकल को अंत तक ध्यानपूर्वक पढना होगा। Picashow App से लाइव IPL देखने के लिए इस साईट पर जाएँ।

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Contents

मजेदार कहानियां

आज के इस आर्टिकल में हम बच्चो के लिए अच्छी अच्छी कहानियां लिख रहे हैं यदि आप भी अपने बच्चों को कुछ ऐसे ही अनोखी भूतों की मजेदार कहानियां सुनना चाहते हैं तब आप यहाँ से उन कहानिओं को पढकर जरुर सुना सकते हैं। तो चलिए बिना देरी किये एक बढ़िया सी कहानी सुनते हैं।

1.चीटी और कबूतर की मजेदार कहानियां

एक समय की बात है पेड़ पर से एक चीटी तालाब में गिर गई। एक कबूतर ने उसे पाने जीवन बचाने के लिए उसे जी तोड़ कोशिक्ष करते हुए देखा। फिर कबूतर ने एक पत्ते को तोडा और चीटी के पास फेंक दिया। चीटी झट से पत्ते पर चड़ गयी और बड़ी कृतज्ञता भरी नजरो से उसने कबूतर का धन्यवाद किया चीटी बहुत ही थक गयी थी। कुछ सप्ताहों बाद की बात है एक बहेलिया जंगल में आया बहेलियो का तो काम ही होता है। पक्षियों को पकडना उसे कुछ दाने जमीन पर फेंके और उसने अपना जाल बिछा दिया। वह चुपचाप जाल में किसी पक्षी के फसने का इंतिजार कर रहा था।

वे चीटी जो बही कहीं से गुजर रही थी उसने जब सारी तैयारी देखी तो क्या देखती है। कि वही कबूतर जिसने उसकी जान बचाई थी उडकर उसी जाल में फसने के लिए धीरे धीरे निचे उतर रहा था। चीटी ने एकदम आगे बढ़ बहेलिये के पैर पर इतनी बुरी तरह काट दिया कि बहेलिये के मुह से चीख निकल गई। कबूतर ने एकदम देखा कि सोर किदर से आ रहा है और बहेलिये को देखते ही सब कुछ उसकी समझ में आ गया और वह दूसरी दिशा में उड़ गया और उसकी जान बच गयी।

2.टीचर और स्टूडेंट की मजेदार कहानियां

यह कहानी शुरू होती है एक स्कूल से बहार बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी। तभी टीचर ने क्लास के सभी बच्चो से एक सवाल पूछा। अगर तुम सबको 100-100 रुपए का नोट दिया जाये तो तुम सब क्या खरीदोगे किसी ने कहा मैं विडियो गेम खरीदूंगा। तो किसी ने कहा में क्रिकेट का बेत खरीदूंगा सब बच्चे अलग अलग चीजो की बात करने लगे एक बच्चा कुछ सोच में डूवा हुआ था। तभी टीचर ने उस बच्चे से पूछा तुम क्या सोच रहे हो? तुम क्या खरीदोगे तो बच्चा बोला टीचर जी मेरी माँ को थोडा कम दिखाई देता है तो मैं अपनी माँ के लिए चस्मा खरीदूंगा। टीचर ने कहा तुम्हारी माँ के लिए चस्मा तो तुम्हरे पापा भी खरीद सकते हैं। तुम्हे अपने लिए कुछ नही खरीदना। बच्चे ने जो जवाब दिया उससे टीचर का भी गला भर आया।

बच्चे ने कहा टीचर मेरे पापा अब इस दुनिया में नही रहे मेरी माँ लोगो के कपडे सिलकर मुझे पढ़ती है और उन्हें कम दिखाई देने की बजह से वह कपड़े सिल नही पाती है। इसलिए सार मैं अपनी माँ को एक चस्मा खरीदकर देना चाहता हूँ। ताकि मैं अच्छे से पढ़ सकूँ बड़ा आदमी बन सकूँ और माँ को सारी सुख सुबिधा दे सकूँ। बच्चे की बात सुनकर टीचर बोला बेटा तेरी सोच तेरी कमाई है। यह 100 रुपए रखो और तुम्हारी माँ के लिए चस्मा खरीद दो और यह 100 रुपए उधर दे रहा हूँ। जब कभी कमायो तो मुझे लौटा देना और मुझे इच्छा है कि तो बड़ा आदमी बने तू इतना बड़ा आदमी बने कि तेरे सर पर हाथ रखते वक्त मैं धन्य हो जाऊं। 20 बर्ष के बाद उसी स्कूल के बहार बारिश हो रही थी और अंदर क्लास चल रही थी। अचानक स्कूल के बहार जिला कलैक्टर की गाडी आकार रूकती है। स्कूल का स्टाफ चौकन्नासा रह जाता है।

स्कूल में सन्नटा सा छा जाता है कुछ समय बाद वह जिला कलैक्टर एक बुध्द टीचर के पैरो में गिर पढ़ते हैं और कहता है। सर मैं उधार के 100रुपए लौटने आया हूँ। पूरा स्कूल स्टाफ दंग रह जाता है फिर बुध्द टीचर झुके हुए नौजवान जिला कलैक्टर को उठाकर गले मिलते हैं और रो पढ़ते हैं।

टीचर और स्टूडेंट की कहानी 

3.ईमानदारी की प्रेरक कहानी

एक बार एक राज्य में अकाल पड गया लोग भूख के कारण मरने लगे उस रज्य के राजा ने घोसणा करवा दी कि रज्य की रज्य के सभी बच्चो को एक एक रोटी दी जाएगी। अगले दिन रज्य क सभी बच्चे राजा के महल के पास आकार इक्कठे हो गए। वह पर कुछ रोटी छोटी थीं तो कुछ रोटी बड़ी थीं। सभी बच्चे बड़ी रोटी पाना चाहते थे जिसके कारण उनकी आपस में धक्का मुक्की और लड़ाई होने लगी। राजा ने देखा कि एक छोटी सी लड़की चुपचाप खाड़ी थी अंत में एक सबसे छोटी रोटी बच्ची उस लड़की ने उस रोटी को ख़ुशी ख़ुशी लिया और घर चली गई। दुसरे दिन भी ऐसा ही हुआ जब रोटी बाटी जा रही थी तब भी उस लड़की को सबसे छोटी रोटी ही मिली उसने ख़ुशी ख़ुशी रोटी ली और घर चली गई।

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4.खरगोश और कछुए की मजेदार कहानियां

एक दिन एक खरगोश और कछुये ने अपने बिच दौड़ लगाने की सोची। जंगल के सारे जानवर इस दौड़ को देखने के लिए इक्कठा हुये। बन्दर ने गोली चलाकर दौड़ की शुरुआत की खरगोश भागने लगा और कछुए को बहुत पीछे छोड़ आया। उसने सोचा इस दौड़ को तो मैं ही जीतूँगा। इसलिए खरगोश ने सोचा कछुए के आने तक कुछ देर आराम कर लेता हूँ। फिर खरगोश हरी नर्म घास में लेट जाता है और उसे गहरी नीद आ जाती है। कछुया धीरे धीरे चलकर खरगोश को पार कर गया। जब खरगोश की नीद खुली तो उसने देखा कछुया तो दौड़ जीत चुका है।

5.सारस और लोमड़ी की मजेदार कहानियां

किसी जंगल में सारस और लोमड़ी रहते थे धीरे धीरे उन दोनों में मित्रता हो गई। लोमड़ी बहुत चालक थी पर सारस बहुत सीधा था। एक दिन लोमड़ी ने सारस से कहा मित्र कल तुम्हे मेरे घर पर भोजन करना है सारस ने उसका निमत्रण स्वीकार कर लिया। अगले दिन सारस लोमड़ी ने खीर बनायीं थी और उसे दो फैली पियालियो में परोसा था दोनों मित्र खीर खाने बैठे। लोमड़ी थोड़ी ही देर में खीर चट कर गई परन्तु विचार सारस अपनी लम्बी चोच से खीर ना खा सका और भूखा ही रह गया।

उसने अपने मन ही मन में लोमड़ी से अपने इस अक्मान का बदला लेने का निश्चय किया कुछ दिनों के बाद सारस ने लोमड़ी से कहा बहन कल तुम हमारे यह खाने पर आना। लोमड़ी ने खुशी ख़ुशी उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया और अगले ही दिन उसके घर पहुच गई सारस ने खीर बनायीं और दो लम्बी गर्दन वाले वर्तनो में परोसी सारस अपनी लम्बी गर्दन से खीर को सफा कर गया। लेकिन लोमड़ी न खा सकी और भूखी रह गई। वह अपने पिछले वेहबार पर बहुत सर्मिन्दा हुई

6. नकलची बन्दर की मजेदार कहानियां

एक समय की बात है सडक के किनारे एक वृक्ष पर बहुत से बंदर रहते थे। गर्मी का दिन था वह से एक थका हरा टोपी बेचने वाला जा रहा था पेड़ की घनी छाया देखकर उसने टोपियों की गठरी वहीं रख दी और आराम करने लगा। थकावट के कारण उसे नीद आ गई। जब उसकी आंख खुली तब उसने अपनी गठरी को खली पाया वह बहुत हैरान हुआ उसने इधर उधर देखा और कुछ देर बाद उसकी नजर पेड़ पर बैठे हुए बंदरो पर गई। बंदरो ने टोपी वाले की सारी टोपियाँ अपने सिरों पर फन राखी थीं। टोपी वाले ने बंदरो को डराया धमकाया लेकिन बंदरो ने टोपियाँ नही दीं। फिर टोपी बाले ने उपाए से काम लिया और उसने अपनी टोपी उतर कर निचे फेंक दी नकलची बंदरो ने भी अपनी टोपियाँ सिर से उतर कर निचे फेंक दीं और फिर टोपी वाले ने अपनी सारी टोपियाँ इक्कठी कि और वहा से चल दिया।

7.चालक बंदर और मगरमच्छ की कहानी

नदी के किनारे जामुन के पेड़ था उस पेड़ पर एक बंदर रहता था। उसकी दोस्ती नदी में रहने वाले एक मगरमच्छ से हो गई थी।  मगरमच्छ की पीठ पर बैठकर बंदर पूरी नदी की सयर करता और बंदर बदले में बंदर मगरमच्छ को जामुन खिलाता और उसकी पत्नी के लिए भी जामुन भेजता था। जामुन खाकर मगरमच्छ की पत्नी की इच्छा बंदर का कलेजा खाने की हुई। उसने मगरमच्छ को कहकर बंदर को अपने घर बोलवाया घर जाते समय मगरमच्छ ने बंदर को सच बता दिया कि उसकी पत्नी बंदर का कलेजा खाना चाहती है।

यह सुनकर बंदर मगरमच्छ की चाल समझ गया और उसने मगर से कहा भईया मैं तो अपना कलेजा पेड़ पर ही छोड़ आया हूँ। इसलिए मुझे पेड़ पर ले चलो बंदर कि यह बात सुनकर मगरमच्छ पेड़ की तरफ मुड गया और जैसे ही मगरमच्छ पेड़ के पास पंहुचा बंदर उछल कर पेड़ पर चड़ गया और उसकी जान बच गई।

चालक बंदर और मगरमच्छ की कहानी

8.आलू अंडे और कॉफी बीन्स की कहानी

एक था जिसका नाम जॉन था और वो काफी उदास था उसके पिता को वह रोता हुआ मिला जब तक उसके पिता ने जॉन से पूछा वह क्यों रो रहे हैं तो उसने कहा उसके जीवन में बहुत सारी समस्याएँ हैं। तो उसके पिता  मुस्कुराए और उसे एक आलू, एक अंडा और कुछ कॉफी बीन्स लाने को कहा। उसने उसे तीन कटोरे में रखा फिर उन्होंने जॉन से उनकी बनावट महसूस करने के लिए कहा और फिर उन्होंने प्रत्येक कटोरी में पानी भर देने का निर्देश दिया। जॉन ने वैसा ही किया जैसे उसे बताया गया था।

उसके पिता ने फिर तीनो कटोरे उबाले एक बार जब कटोरे ठन्डे हो गए तो जॉन के पिता ने अलग अलग खाद पदार्थो कि बनावट को फिर से महसूस करने के लिए कहा। जॉन ने देखा कि आलू नरम हो गया था और उसकी त्वचा आसानी से चील रही थी। अंडा कठिन और सख्त हो गया था। वहीं काफी बीन्स पूरी तरह से बदल गई थी और पानी के कटोरे के सगंध और स्वाद से भर दिया था।

9.दो मेंढ़कों की कहानी

एक बार मेंढकों का एक दल पानी की तलाश में जंगल में घूम रहा था अचानक समूह में दो मेंढक गलती से एक गहरे गड्ढे में गिर गए। दल के दूसरे मेंढक गड्ढे में अपने दोस्तों के लिए चिंतित थे गड्ढा कितना गहरा था। यह देखकर उन्होंने दो मेंढकों से कहा कि गहरे गड्ढे से बचने का कोई रास्ता नहीं है और कोशिश करने का कोई मतलब नहीं है। वे लगातार उन्हें हतोत्साहित करते रहे क्योंकि दो मेंढक गड्ढे से बाहर कूदने की कोशिश कर रहे थे। वो दोनों जितनी भी कोशिश करते लेकिन काफ़ी सफल नहीं हो पाते। जल्द ही दो मेंढकों में से एक ने दूसरे मेंढकों पर विश्वास करना शुरू कर दिया कि वे कभी भी गड्ढे से नहीं बच पाएंगे और अंत में हार मान लेने के बाद उसकी मृत्यु हो गई।

दूसरा मेंढक अपनी कोशिश जारी रखता है और आखिर में इतनी ऊंची छलांग लगाता है। कि वह गड्ढे से बच निकलता है। अन्य मेंढक इस पर चौंक गए और आश्चर्य किया कि उसने यह कैसे किया अंतर यह था कि दूसरा मेंढक बहरा था और समूह का हतोत्साह नहीं सुन सकता था। उसने ये सोचा कि वे उसके इस कोशिश पर खुश कर रहे हैं और उसे कूदने के लिए उत्साहित कर रहे हैं।

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10. शेर और चूहे की कहानी

किसी जंगल में एक शेर रहता था। एक बार वह सो रहा था तभी अचानक एक चूहा शेर के पास आया और उसके शारीर के पास आया और वह शेर के शारीर पर दौड़ने लगा। इससे शेर की नीद टूट जाती है और उसे बहुत गुस्सा आया  और उसने चूहे को पकड़ लिया। फिर चूहा शेर से कहने लगा मुझे छोड़ दो मैं कभी न कभी तुम्हारी मदद जरुर करूँगा। शेर ने हँसकर उसे छोड़ दिया। कुछ दिनों के बाद वह शेर एक शिकारी के जाल में फास गया था। चूहे ने शेर को जाल में फसा देखा तो उसने तुरंत अपने दोस्तों को बुलाया और सभी चूहों ने मिलकर जाल को कुतर डाला। आखिर शेर जाल से मुक्त हुआ और वह बहुत खुश हुआ। उसने चूहे का आभार माना।

11. मूर्ख गधा की मजेदार कहानियां

एक नमक बेचने वाला रोज अपने गधे पर नमक की थैली लेकर बाजार जाता था। रस्ते में उन्हें एक नदी पार करनी पढ़ती थी एक दिन नदी पार करते वक्त अचानक से गधा नदी में गिर गया। जिसके कारण नमक की थैली भी पानी में गिर गईं चूँकि नमक से भरा थैला पानी में घुल गया और इसलिए थैला ले जाने के लिए बहुत हल्का हो गया। थैला हल्के होने की बजह से गधा बहुत खुश था। अब फिर गधा रोज वही चाल चलने लगा। इससे नमक बेचने वाले को काफ़ी नुक़सान उठाना पड़ता। रोज रोज का यह नुकसान देखकर नमक वाले को उसकी यह चाल समझ आ गई और उसने उसे सबक सिखाने का फासला किया।

अगले दिन उसने गधे पर एक रुई से भरा थैला लाद दिया। गधे ने फिर से वही चाल चली उसे उम्मीद थी कि रुई का थैला अभी भी हल्का हो जाएगा। लेकिन गीला रुई  ले जाने के लिए बहुत भारी हो गया और गधे को नुकसान उठाना पड़ा। उसने इससे  एक सबक सीखा और उस दिन के बाद उसने कोई चाल नहीं चली और नमक बेचने वाला खुश था।

12. मूर्ख को सलाह

एक जंगल में आम के पेड़ पर कई पक्षी रहते थे वे अपने छोटे घोसलों में खुश थे बरसात के मौसम की शुरू होने से पहले ही वह अपने घोसलों को और भी मजबूत बना लिया करते थे। सभी पक्षी कई टहनिय और पत्तो को लाकर अपना घोसला मजबूत करते थे। पक्षी सोचते थे कि हमें अपने बच्चो के लिए कुछ खाना भी तोड़ कर ले आना चहिये। सभी पक्षी ने मेहनत कर खाना ढूंढा और उसे इक्कठा किया ताकि बरसात के मौसम में परेशानी न हो। जल्द ही बारिश का मौसम आया सभी जानवर और पक्षी अपने अपने घर में रहने लगे। कई दिन तक बारिश चलती रही। एक दिन बारिश में एक बंदर फास गया वो बारिश के समय एक पेड़ की शाखा के पर बैठ गया लेकिन पानी अब भी उसके ऊपर आ रहा था। भीगते हुए बंदर को बहुत ठंड लग रही थी। बंदर ने कहा ओ यह तो बहुत ठंड है। पक्षी यह सब देख रहे थे उन्हें बंदर के लिए बहुत बुरा लग रहा था लेकिन उनके लिए कुछ सम्भव नही था।

उनमे से एक चिड़िया ने कहा बंदर भाई हमारे छोटे घोसले में आप आ नहीं पाएंगे। इसलिए हम आपकी मदद नही कर सकते। हम सभी ने बरसात के मौसम के लिए तैयारी कर ली थी अगर तुम भी अपना घर बना लेते तो तुमे इस स्थति में नही होते। बंदर को पक्षी की बात सुनकर बहुत गुस्सा आ गया। बंदर ने कहा तुम्हरी हिम्मत कैसे हुई मुझे यह बताने कि मुझे क्या करना चाहिए क्या नही। उसने गुस्से में पक्षियों के सारे घोसले तोड़ दिए और उन्हें जमीन पर फेंक दिया। पक्षी कुछ भी नही कर पाए ऐसे में बंदर तो नुकसान में था ही उसने पक्षियों का नुकसान भी कर दिया। पक्षियों ने सोचा मुर्ख कभी अच्छी सलह मानते नही हैं इसलिए उन्हें सलह ना ही देना बेहतर है।

13. बूढ़ी औरत और कौआ की कहानी

बहुत समय पहले की बात है एक गांव में एक पीपल का पेड़ था जिस्मीन बहुत सारे कौवे रहते हैं। एक दिन सुबह के सभी रोज की तरह खाने की तालाश में पेड़ से चले गए। लेकिन एक कौआ सोया रहा था जब वह उठा तो उसे देखा कि सभी कौये भोजन  की तलश मेंचुका हैं। इसके बाद उसने अकेले ही भोजन की तलाश करने के लिए जाने की सोची। वह पेड़ से उडकर पुरे गांव में खाने की तलाश करने लगा लेकिन उसे कहीं भी भोजन नजर नहीं आया। इसके बाद वह एक घर की छत पर बैठा गया। उसको वहां बहुत ही अच्छी खुशबू आ रही थी। उसे जिस दिशा में खुशबू आ रही थी उसी और जाने लगा उसने देखा कि एक बूढी औरत घर के आंगन में बैठ कें वड़ा बना रही थी। वड़ा को देख कर कौवे के मुंह में पानी आ गया।

उसको बहुत भूख लगी थी वह वड़ा तभी खाना चाहता था। जब वह निचे उस बूढ़ी औरत के पास गया तो उसे देखा की बूढी औरत ने एक कौवे को पहले से बांध रखा है। बूढ़ी औरत ने उसको भी यही कहा अगर तुमने वडा चुराने की कोशिश की तुम को भी इसकी तरह बंद दूंगी। कौवे को समझ आ गया की जब तक बूढी औरत वहां पर है। तब तक वह वड़ा नहीं चुरा सकता उसने एक तर्कीब सोची और वह उस घर के पीछे गया और बच्चों की आवाज में बोला दादी कहां हो। इसके बाद बूढ़ी औरत बोली आती हूं बूढी औरत वहाँ से गई कौवे ने आकार एक वड़ा चुरा लिया और अपने पेड पर चला गया। जब अपने मुंह में वड़ा दबाए अपने घोंसले में पंहुचा तभी एक चालाक लोमड़ी ने कौवे को देखा लिया।

वड़े को देखकर लोमड़ी के मुंह में पानी गया और उसने कौवे की तारीफ करना शुरू कर दी वह बोली कितना अच्छा काले रंगा का कौवा है। इसकी आंखे कितनी प्यारी हैं इसके पंख कितने अच्छे हैं। कौवा अपनी तारीफ सुनकर बहुत खुश हुआ और सब कुछ भूल गया इसके बाद लोमडी ने कहा ऐसे अच्छे कहां की आवाज भी बहुतअच्छी होगी लोमड़ी ने कौवे से कहा क्या तुम मुझे एक गाना सुनाओगे की इसके कौवे ने जैसे ही अपना मुह खोला वडा पेड़ से निचे गिर गया। चालक लोमड़ी ने वड़ा उठाया और वह से चली गई कौवे को पता चल चुका था कि लोमड़ी ने उसे बेवकुफ बनाया है। उसने सोचा बूढी औरत से वडा करने की दूसरी तरकीब लगनी पड़ेगी।

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14. एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी

गाँव में एक बुढ़ा व्यक्ति रहता था। वह दुनिया के सबसे बदकिस्मत लोगों में से एक था। सारा गाँव उसके अजीबोग़रीब हरकत से थक गया था। क्योंकि वह हमेशा उदाश रहता था। वह लगातार शिकायत करता था और हमेशा खराब मूड में रहता था। जितना अधिक वह बुढा जीवत रहा उतना ही वह दुखी रहता था। उसके शब्द उतने ही जहरीले थे। लोग उससे बचते थे क्योंकि उसका दुर्भाग्य संक्रामक हो गया था। इतना ज्यादा दुःख होने की वजह से उसने दुसरो के दुःख की भावना पैदा कि लेकिन एक दिन जब वह 80 साल के हुए एक अविश्वसनीय बात हुई। ये बात लोगों में आज के तरह फैल गयी। वह आदमी आज खुश था वह किसी भी चीज की शिकायत नही कर रहा था बल्कि पहली बार वह मुस्कुरा रहा था।

यहाँ तक कि आज उसका चेहरा भी तरोताजा दिखाई पढ़ रहा था यह देखकर सारे गाँव वाले उसके घर के बहार इक्कठा हो गए और सभी ने उस बुढे आदमी से पूछा तुम्हे क्या हुआ है? वह बुढा आदमी बोला कुछ खास नहीं 80 साल से मैं खुशी का पीछा कर रहा हूं और यह बेकार था। मुझे ख़ुशी कभी नहीं मिली। और फिर मैंने खुशी के बिना जीने और जीवन का आनंद लेने का फैसला किया इसलिए मैं अब खुश हूं।

एक बूढ़े व्यक्ति की कहानी

15.पति पत्नी के सच्चे प्यार की कहानी 

एक आदमी ने एक बहुत ही खूबसूरत लड़की से शादी की शादी के बाद दोनों की जिंदगी बहुत ही प्यार से गुजर रही थी वह उसे बहुत चाहता था और उसकी खूबसुरती की हमेशा तारीफ किया करता था। लेकिन कुछ महिनो के खराब लड़की चर्म रोग से ग्रसित हो गई और धीरे धीरे उसकी खूबसूरती जाने लगी। खुद को इस तरह देखकर उसके मन में डर समाने लगा की यदि वह वदसूरत हो गई तो उसका पति उससे नफ़रत करने लगेगा। वह उसकी नफ़रत बर्दाश्त नहीं कर पायेगी इस बिच एक दिन पति को किसी काम से बाहर जाना पड़ा काम खत्म कर जब वह घर लौट रहा था। उसका एक्सीडेंट हो गया एक्सीडेंट में उसने अपनी दोनों आखें खों दीं।

लेकिन इसके बावजूद भी उन दोनों की जिंदगी सामान्य तारिके से आगे बढ़ती रही समय गुजरा सम और चार्म रोग के करण लड़की ने अपनी खूबसूरती पूरी तरह गवा दी और वो वदसूरत हो गई लेकिन अंधें पति को इस बारे में कुछ नही पता था। इसलिए उनके खुशहाल विवाहित जीवन पर कोई प्रभाव नही पड़ा। वह उसी तरह प्यार करता रहा। एक दिन उस लड़की की मौत हो गई पति अब अकेला हो गया था वह बहुत दुखी था वह उस शहर को छोड़ कर जाना चाहता था। उसके अंतिम संस्कार की सारी क्रियाविधि पूर्ण की और शहर छोड़ कर जाने तभी एक आदमी ने उसे पीछे से पुकार और पास आकार कहा अब तुम बिना सहरे के अकेले कैसे चल पाओगे इतने साल तो तुम्हारी पत्नी तुम्हारी मदद किया करती थी।

पति ने जवाब दिया दोस्त में अंधा नहीं हूं मैं बस अँधा होने का नाटक कर रहा था। क्योंकि यदि मेरी पत्नी को पता चलता है कि मैं उसके बदसूरती देख सकता हूं तो यह उसे उसके रोग से ज्यादा दर्द देता। मैंने इतने साल अंधे होने का दिखावा किया वह बहुत अच्छी पत्नी थी। वह बस मैं उसे खुश रखना चाहता था।

16. सोच बदलने वाली कहानी

एक बार की बात है एक गांव में एक बूढी माँ रात के अंधेरे में अपनी झोपड़ी से बाहर कुछ खोज रही थी। तभी गाँव के ही एक व्यक्ति की नजर उस पर पढ़ी उस व्यक्ति ने बूढी माँ से पूछा कि इतनी रात में रोड लाइट के निचे क्या ढ़ोंढ रही हो। बूढ़ी माँ ने कहा कुछ नहीं मेरी सुई खो गई है। बस वही खोज रही हूं फिर क्या था वह भला व्यक्ति भी बूढ़ी माँ की मदद करने के लिए रुक गया और साथ में सुई खोजने लगा और कुछ ही देर में और भी लोग बूढी माँ की सुई खोजने में शामिल हो गए और देखते-देखते लगभग पूरा गाँव ही इक्कठा हो गया। सभी बड़े ध्यान से सुई को खोजने में लगे हुए कि तब किसी ने बूढ़ी माँ से पूछा हैं बूढ़ी माँ जरा यह तो बताओ की सुई गिरी कहां थी बेटा सुई तो झोपड़ी के अंदर गिरि थी बूढी माँ ने जवाब दिया

यह सुनते ही सभी लोग बड़े क्रोधित हो गए और भीड़ में से किसी ने ऊंची आवाज में कहा कमल करती हो अम्मा हम इतनी देर से सुई ढूंढ रहे हैं। जबकि सुई अंदर झोपड़ी में गिरी थी आखिर सुई वहा खोजने  के वजाह यहां बहार क्यों खोज हो। क्योंकि रोड पर लाइट जल रही है इसलिए बूढी माँ बोली मित्रो शायद ऐसा ही आज के युवा अपने भविष्य को लेकर सोचते हैं कि लाइट कहा जल रही है। वो यह नही सोचते हैं कि हमारा दिल क्या कह रहा है।

हमारी सुई कहां गिरी है हमें चाहए की हम ये जानने की कोशिश करें कि हम किस फील्ड में अच्छा कर सकते हैं और उसी में अपना करियर बनाएं ना कि भेड चाल चलतेहुए किसी ऐसी फिल्ड में घोस जाएँ जिसमे बाकि लोग जा रहे हो या जिसमे बाकि लोग जा रहे हो या जिसमे हमें ज्यादा पैसा नजर आ रहा हो।

17. खिड़की

एक बार की बात है एक नौविवाहित जोड़ा किसी किराये के घर में रहने पहुचे अगली सुबह जब वह नशाता कर रहे तभी उसकी पत्नी ने खिड़की से देखा के सामने वाली छत पर कुछ कपड़े फैले हैं। इन लोगो को कपड़ो साफ़ करना भी नहीं आता जरा देखों तो कितने मैले लग रहे हैं। पति ने उसकी बात सुनी और अधिक ध्यान नही दिया। एक-दो दिन बाद फिर उसी जगह कुछ कपडे फैले फैले थे। पत्नी ने उन्हें देखते ही अपनी बात तोहरा दी कब सीखेंगे यह लोग के कपड़े कैसे साफ करते हैं। पति सुनता रहा है पर इस बार भी उसे कुछ नहीं कहा पर अब तो यह आए दिन की बात हो गई जब भी पत्नी कपडे फैले देखती भला बुरा कहना शुरू हो जाती लगभग 1 माहीने बाद वे वहीँ बैठकर नशाता कर रहे थे।

तुम्हें कपड़े साफ नजर आ रहे हिना पति ने बात पूरी की जिंदगी में भी यही बात लागू होती है। बहुत बार हम दुसरो को कैसे देखते हैं यह इस पर निर्भार करता है कि हम खुद अंदर से कितने साफ हैं। किसी के बारे में भला बुरा कहने के मनोस्थिति देख लेनी चाहिए कि क्या हम सामने वाले में कुछ बेहतर देखने के लिए तैयार हैं या अभी भी हमारी खिड़की गंदी है।

18. विकलांगो की कहानी 

एक बार की बात है कि इंटरव्यू देने के लिए कई युवक आये थे। एक स्थान विकलांग प्रत्याशी के लिए था। सारे युवको के आलावा विकलांग के केवल दो युवक आये थे और दोनों युवको में से किसी एक का सिलेक्शन होना था। आज कल सरकारी नौकरी मिलना आसान नही है दोनों विकलांग बहुत ही आशा लेकर वह पर पहुचे थे। जबकी सेलेक्शन किसी एक का होना था दोनों ही वेरोजगार थे और विकलांग बेरोजगारी की कंडीशन नार्मल लोगों से बुरी होती है। रोहन और रमन नाम था उन दोनों विकलांगों का रमन रोहन से ज्यादा विकलांग है। वह अपने सभी काम के लिए दुसरो पर ही निर्भर रहता है। रोहन ने सोचा इस लड़के को नौकरी जरूर मिलाना चाहिए। क्योंकि वह उससे ज्यादा विकल्प है रोहन भी बड़ी मुश्किल से ही जिंदगी गुजर रहा था।

रोज़गार का अवसर रोज रोज नहीं आता रमन को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और वह इंटरव्यू देकर बहार आया उसके बाद रोहन को बुलाया गया लेकिन रो हन अंदर नहीं गया और बाहर ही रमन से बोला दोस्त आपको इस नौकरी के बहुत ज्यादा जरूरत है।

19. नाई और भुत की कहानी 

एक बार एक गाँव में नाई रहता था वह बहुत गरीब था और अपनी पत्नी के साथ झोपडी में रहता था। वह ईमानदार था लेकिन उसकी आय अधिक नही थी। प्रतिदिन जब वह घर लौटता था तो उसकी पत्नी पूछती थी प्रिय आज तुमने कितना कमाया? पति बड़ी सावधानी से कहता था आज वीक डे था और इसलिए मेरी दुकान पर ज्यादा ग्राहक बाल कटवाने नहीं आये थे। इसलिए मैं आज ज्यादा नही कमा सका उसकी पत्नी उसे डांटती और डाँडो से पिटती भी थी और धमका कर कहती कि सुनो कल रविवार है। मैं कोई वाहना नही सुनना चाहती मैं चाहती हूँ कि कल तुम बहुत सारा पैसा लेकर घर वापस आओ नाई अपना सार हिला देता था। हलाकि वह निश्चित रूप से जनता था कि कुछ बदलने वाला नहीं है फीर भी वह अपनी पत्नी से इतना डरता था कि सच बोलने की वह हिम्मत नही करता था।

उन्होंने 33 करोड़ देवताओ से प्रार्थना कि रविवार को उनका सामान्य व्यवसाय से बेहतर हो सके। एक भयानक रविवार की शाम हलाकि उसने मदद के लिए मदद के लिए देवता से प्रार्थना की लेकिन शायद के कभी भगवान लोगों की खतरे में डालते हैं। वह कोई अपवाद नहीं था। उनकी दुकान पर बहुत कम लोग बाल कटवाने आते हैं। उनकी कमाई उनकी पत्नी की उम्मीद के आस पास नहीं थी जब सूर्य अस्त हो गया तो वह घर वापस नहीं जाना चाहता था। उसने अपनी पत्नी की डांट उसकी पिटाई के बारे में सोचा और वापस आने से डर नहीं लगा वह एक नदी के किनारे बैठ गया नदी के पानी पर कुछ कंकड फेंके। उसने नदी के पानी पर चंद्रमा का प्रतिबिंब देखा और घर वापस आने पर अपने भाग्य के बारे में सोचा।

नदी किनारे कुछ घंटे बिताने के बाद उसने मन ही मन सोचा नदी के किनारे ज्यादा समय बिताने से क्या फयदा मुझे घर वापस आने दो और देखो कि क्या मैं अपनी पत्नी को मना कर सकता हूं। वह घर वापस गया और अपनी झोपड़ी का दरवाजा खटखटा है। उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला और बोली यहां तुम इतनी देर क्यों कर रहे हो अपने आज बहुत कुछ कमाया होगा। ओह मैं बहुत उत्साहित हूँ। जैसे ही नाई ने अपनी झोपडी में प्रवेश करना चाहां तभी उसकी पत्नी ने उसे रोक लिया और कहा पहले मुझे पैसे दो और फिर झोपडी में प्रवेश करो।

नाई ने अपनी पत्नी से कहा कि वह ज्यादा काम नहीं कर सकता। लेकिन इसे पहले की वह अपना स्पष्टिकरण पूरा कर पाता। उसकी पत्नी ने उसे पीटने के लिए एक बड़ी मोटी छाड़ी ले मैं नाई समझ गया की वह अपनी जान जोखिम में डाल रहा है और वह तुरंत उच्चतम संभव गति से दौड़ता हुआ उस स्थान से नीचे खाई पुरे मन से दौड़ा। हर बार जब वह रुका तो लगा की उसकी पत्नी का उसे बड़ी मोटी छड़ी से उसका पीछा कर रही है वह फिर से अपनी जान बचने के लिए तेजी से दौड़ने लगा वहां एक अंधेरी रात थी नाई एक थका हुआ आदमी था उसके पास आगे दौड़ने के लिए कोई उर्जा नहीं बच्ची थी। सो वह एक पढ़े नीम के पेड़ के नीचे बैठ गया। वह समझ गया कि भगते समय वह वास्तव में गहरे जंगल में प्रवेश कर गया था। जो विशाल वृक्षों वन्या जीवन और न जाने क्या-क्या से भरा हुआ था।

उसकी जेब में एक पैसा नहीं था उसके पास केवल एक छोटा थैला था। जिसमे एक कैंची एक चाकू एक सेविंग क्रीम और एक दर्पण था। उसने देखा कि उसके चारो तरफ बहुत सारे जुगनू उड रहे हैं उन जुगनू को देखते देखते वो सो गया।

नाई और भुत की कहानी 

20. माँ और ईश्वर की कहानी

एकसमय की बात है एक बच्चे का जन्म होने वाला था। जन्म से कुछ छड़ पहले उसने भगवान से पूछो मैं इतना छोटा हुं खुद से कुछ कर भी नहीं पता भला धरती पर मैं कैसे रहूंगा। कृपया मुझे अपने पास ही रहने दीजिए। मैं कहीं नहीं जन चाहता भगवान बोले मेरे पास बहुत से फरिश्ते हैं उन्हीं में से एक पहले तुम्हारे लिए चुना है पर तुम्हारा ख्याल रखेगा पर मुझे पर आप मुझे बताइए यहां स्वर्ग में मैं कुछ नहीं करता बस गाता और मुस्कारता हूं। मेरे लिए खुश रहने के लिए इतना ही बहुत है तुम्हारा फरिश्ता तुम्हारे लिए गायेगा और हर रोज तुम्हारे लिए मुस्कान भी और तुम उसका प्रेम महसुस भी करोगे और खुश रहोगे। जब वह लोग मुझसे बात करेंगे तो मैं समझूंगा कैसे मुझे तो उसकी भाषा नहीं आती तुम्हारा फरिश्ता तुमसे सबसे मधुर और प्यारे शब्दो में बात करेगा।

ऐसे शब्द जो तुमने यहां नही सुने होंगे। और वह फ़रिश्ता बड़े धैर्य और सावधान के साथ तुम्हें बोलना भी सिखाएगा। जब मुझसे तुमसे बात करनी हो तो मैं क्या करूंगा तुम्हारा फरिश्ता तुम्हे हाथ जोड़कर प्रार्थना करना सिखाएगा और इस तरह से तुम मुझसे बात कर सकोगे बच्चा बोला मैंने सुना है कि धरती पर बहुत बुरे लोग भी होते हैं। उनसे मुझे कौन बचाएगा तो भगवान ने कहा तुम्हारा फरिश्ता तुम्हें बचायेगा भाले ही उसकी अपनी जान पर खतरा क्यों ना आ जाए। लेकिन मैं हमेशा दुखी रहूंगा। क्योंकि मैं तुम्हें नहीं देखूंगा तुम इसकी चिंता मत करो तुम्हारा फ़रिश्ता हमेशा तुमसे मेरे बारे में बाते करेगा।

और तुम वापस मेरे पास कैसे आ सकते है यह भी बताएगा। उस वक्त स्वर्ग में असीम शांति थी लेकिन पृथ्वी से किसी के करहाने की आवाज आ राही थी। बच्चा समझ गया कि अब उसे धरती पर जाना है और रोते-रोते भगवान से पूछा है ईश्वास अब तो मैं जाने वाला हूं। कृपया अब तो मुझे उस फरिश्ते का ना बता दीजिये। भगबान बोले फ़रिश्ते के नाम का कोई महत्व नही है इतना जानो कि तुम उसे माँ कहकर पुकारोगे।

21. बलवान कछुए की मूर्खता की मजेदार कहानियां‍

एक सरोवर में विशाल नाम का एक कछुआ रहा करता था। उसके पास एक मजबूत कवच था। यह कवच शत्रुओं से बचाता था। कितनी बार उसकी जान कवच के कारण बची थी। एक बार भैंस तालाब पर पानी पीने आई थी भैंस का पैर विशाल पर पड़ गया था फिर भी विशाल को नहीं हुआ। उसकी जान बच रही थी। यह कवच विशाल कुछ दिनों के बाद कछुए को भारी लगने लगा। उसने सोचा कि इस कवच को निकल कर जिंदगी जीना चहिये। उसने सोचा अब मैं बलवान हो गया हूँ मुझे कवच की जरूरत नही है।  विशाल अगले ही दिन कवच को तलब में छोड़कर आसपास घोमने लगा और अचानक हिरण का झुंड तलब में पानी पिने आया। ढेर सारी हिरनियाँ अपने बच्चो के साथ पानी पिने आई थीं। उन हिरणीयो के पैरो से विशाल को चोट लग गई और वह रोने लगा।

आज उसने अपना कवच नही पहना था जिसके कारण चोट काफी जोर से लग रही थी विशाल रोता रोता तलब में गया और कवच को पहन लिया। कम से कम कवच से जान तो बचती है।

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22. राजू की समझदारी की मजेदार कहानियां

जतनपुर में सभी लोग बीमार हो रहे थे। बीमार होने का कारण डॉक्टर ने मक्खी को बताया। जतनपुर के पास एक कूड़ेदान है  उस पर ढेर सारी मक्खियां रहती है। वह उड़कर सभी घरों में जाती वहां रखा खाना गंदा कर देती। उस खाने को खाकर लोग बीमार हो रहे थे। राजू दूसरी क्लास में पढता था उसकी मैडम ने मक्खियों के कारण फैलने वाले बीमारी को बताया राजू ने मक्खियों को भगाने की ठान ली और घर आकर अपनी माँ को मक्खियों के बारे में बताया। वह हमारे खाने को गंदा कर देती हैं और घर में आकार गंदगी फैला देती हैं इसे घर से बहार भागना चाहिए।

राजू बहार से फिनाइल लेकर आया उसके पानी से घर में साफ सफाई हुई रसोई घर में खाना को ढकवा दिया। जिसके कारण मक्खियों को खाना नहीं मिल पाया। दो दिन में मक्खियां घर से बाहर भाग गई फिर घर के अंदर कभी नहीं आई।

23. बिच्छू और संत की मजेदार कहानियां

एक बार की बात है एक बिच्छु नदी में बहता जा रह था। नदी के पास खड़े एक संत ने बिछू को बहता देख अपने हाथ से पकड़ बाहर निकालना चाहा बिछु ने अपने स्वभाव के करण संत को डंक मारा और वापस नदी में जा गिरा संत ने बिच्छु को फिर से अपने हाथ से निकालने का प्रयास किया बिच्छू ने संत को फिर से डंक मारा और वापस नदी में जा गिरा ऐसे दो-तीन बार और हुआ अंत में संत बिच्छू को नदी से निकलाने में सफल हो गया पास खड़ा संत का शिष्य यह सब कुछ देखा रहा था। उसने संत से पूछा की आप जानते हैं कि बिच्छू का स्वभाव नुक्सान पहचानने वाला है फिर भी आप उसे अपने हाथ से निकले रहे थे। संत ने कहा जब यह बिच्छू होकार अपना स्वभाव नहीं बदल सकता तो मैं संत होकर अपना स्वभाव कैसे बदल दूं। तो दोस्तों इस कहानी से हमें सिख मिलाती है कि हम दूसरों का दुर्व्यावहार को देख अपना अपना स्वभाव नही बदलना चाहिए।

24. दर्जी और हाथी की मजेदार कहानियां

एक गाँव में एक दर्जी रहता था और उसी गाँव में एक हाथी भी रहता था। हर रोज हाथी गाँव के किनारे नदी पर नहाने जाता था रस्ते में वह उस दर्जी की दुकान को पार करके जाता था और दर्जी उसको फल खिलाता दोनों अच्छे दोस्त बन गये। एक दिन दर्जी का मन थोडा खराब था। हर रोज की तरह हाथी उसकी दुकान पर आया पर आज फल देने की बजह दर्जी ने उसको सुई से चुभाया हाथी को चोट लग गई और हैरान परेशान हो गया और गुस्सा भी आया लेकिन बिना कुछ कहे चुप चाप वह से चला गया। नदी पर रोज की तरह पहुच गया दर्जी का बुरा वर्ताब भूल नही पाया और उसने अपनी शुड में मट्टी का पानी भर लिया और वापस दर्जी की दुकान पर आ पंहुचा।

हाथी ने सारे नए कपड़ो पर मिटटी का पानी फेक दिया और दर्जी भी गंदा हो गया। हाथी का वैवार देखकर दर्जी हैरान रह गया पर उसने गुस्सा नही किया दुकान के बहार आया और उसने हाथी को प्यार से छुया उसको हाथी के लिए बुरा लगा फिर तुरंत उसने हाथी के लिए कुछ फल लाये और प्यार से हाथी को खिला दिए हाथी और दर्जी फिर से दोस्त बन गए।

दर्जी और हाथी की कहानी 

25. हिरण की खूबसूरती पर घमंड की कहानी

एक बार की बात है एक जंगल में एक बारहसिंगा रहता था वह दिखने में बहुत ही सुंदर था जिस कारण से बारहसिंगा को अपने खूबसूरत सींगो पर बहुत ही गर्व था। वह जब भी तालाब में पानी पीते हुए अपनी परछाई देखकर सोचता मेरे सिंग कितनी खूबसूरत है लेकिन मेरी टंगे कितनी पटली और भद्दी हैं। वह सोचता की काश उसकी टंगे भी उसकी सिंग की तरह खूबसूरत होती है तो वह और भी ज्यादा खूबसूरत दिखता। इस प्रकार वह अपने टंगो के बारे में सोच-सोच कर बहुत ही हीन भावना से गिरा रहता था।  एक दिन की बात है उस जंगल में कुछ शिकारी शिकार पर आए

जब उन शिकारियों ने इतने खूबसुरत बहरासिंगा को देखा तो उसका शिकार करने के लिए उसके पीछे दौड़े फिर इतने में बरसिंघा बहुत ही तेज दौंडा और शिकारियों से काफी दूर निकल गया। वह हिरण भागने में इतना मस्त था कि उसने सामने ध्यान न दिया फिर वह भगते वह पेड़ के नीचे से गुजर रहा था तब अचानक बहरासिंगा के सिंग एक पेड़ की शाखा में अटक गए। बहरासिंगा अपने सिंग छोड़ने कि भरपूर कोशिश कर रहा था लेकिन सिंग न निकल पा रहे थे। इधर शिकारी लगातार निकट आते जा रहे थे। खूब कोशिश करने के बाद उसने अपने सिंग छोडाये और वह से जान बचाकर सुरक्षित स्थान पर पंहुचा।

अब बहरासिंगा सोचने लगा कि मैं भी कितना बड़ा मुर्ख हूँ जिन सींगो की खूबसूरती पर इतना इतराता था आज उन्ही की बजह से मैं बाहरी संकट में फस गया था।  मैं जिन टांगो को भद्दी कहकर कोसा करता था आज उन्ही टांगो में मेरी जान बचाई है। इस तरह अब बहरासिंगा अब खुद हीन भावना से दूर हो चूका था।

26. अपनी गलती का पछतावा

दोस्तों एक गाँव में गोपाल नाम का एक लड़का था और गोपाल के घर पांच भैंस और एक गाय थी। वह सभी भैंसों की दिनभर देखभाल किया करता था उनके लिए दूरदूर से हरी हरी घास काटकर लाया करता और उनको खिलाता। गाय भैंस गोपाल की सेवा से खुश थी। सुबह शाम इतना दूध हो जाता था कि गोपाल का परिवार उस दूध को बेचने पर विवश हो जाता और पूरे गांव में गोपाल के घर से दूध बिकने लगा। अब गोपाल को काम करने में और भी मजा आ रहा था क्योंकि इससे उसकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही थी। कुछ दिनों से गोपाल परेशान होने लगा क्योंकि उसके रसोईघर में एक बड़ी सी बिल्ली ने आंखें जमा ली थी गोपाल जब भी दूध को रसोई घर में रखकर निश्चिंत होता बिल्ली दूध पी जाती और उन्हें जूठा भी कर जाती।

गोपाल ने कई बार उस बिल्ली को भगाया और मारने के लिए दौड़ाया किंतु बिल्ली झटपट दीवार चढ़ जाती और भाग जाती। एक दिन गोपाल ने परेशान होकर बिल्ली को सबक सिखाने की सोंची जूट की बोरी का जाल बिछाया जिसमें बिल्ली आसानी से फंस गई अब क्या था गोपाल ने पहले डंडे से उसकी पिटाई करने की सोची। बिल्ली इतना जोर जोर से झपट रही थी गोपाल उसके नजदीक नहीं जा सका।  किंतु आज सबक सिखाना था गोपाल ने एक माचिस की तीली जलाई और उस बोरे पर फेंक दी।  देखते ही देखते बोरा धूधू कर जलने लगा बिल्ली अब पूरी शक्ति लगाकर भागने लगी।

बिल्ली जिधर जिधर भागती वह आग लगा बोरा उसके पीछे पीछे होता। देखते ही देखते बिल्ली पूरा गांव दौड़ गई। पूरे गांव से आग लगी आग लगी बुझाओ इस प्रकार की आवाज उठने लगी। बिल्ली ने पूरा गांव जला दिया इस आग में गोपाल का घर भी नहीं बच पाया था।

27. लोमड़ी और अंगूर की मजेदार कहानियां

बहुत दिनों पहले की बात है एक बार एक जंगल में एक लोमड़ी को बहुत भूख लगी उसने पूरी जंगल में छान मारा लेकिन उसे कहीं पर भी खाने को कुछ भी नहीं मिला। इतनी मेहनत से खोज करने के बाद भी उसे कुछ ऐसा नहीं मिला जिसे वह खा सके। अंत में जैसे ही उसका पेट गड़गड़ाहट हुआ वह एक किसान की दीवार से टकरा गया। दीवार के शीर्ष पर पहुँचकर उसने अपने सामने बहुत से बड़े रसीले अंगूरों को देखा। वो सभी अंगूर दिखने में काफ़ी ताज़े और सुंदर थे लोमड़ी को ऐसा प्रतीत हो रहा था कि वे खाने के लिए तैयार हैं।

अंगूर तक पहुँचने के लिए लोमड़ी को हवा में ऊंची छलांग लगानी पड़ी कूदते ही उसने अंगूर पकड़ने के लिए अपना मुंह खोला लेकिन वह चूक गया। लोमड़ी ने फिर कोशिश की लेकिन फिर चूक गया। उसने कुछ और बार कोशिश की लेकिन असफल रही।अंत में लोमड़ी ने फैसला किया कि वो अब और कोशिश नहीं कर सकता है और उसे घर चले जाना चाहिए जब वह चला गया तो वह मन ही मन बुदबुदाया मुझे यकीन है कि अंगूर वैसे भी खट्टे थे।

28. कौवे की गिनती 

एक दिन की बात है अकबर महाराज ने अपनी सभा में एक अजीब सा सवाल पूछा जिससे पूरी सभा के लोग हैरान रह गए। जैसे ही वे सभी उत्तर जानने की कोशिश कर रहे थे तभी बीरबल अंदर आए और पूछा कि मामला क्या है। उन्होंने उस सवाल को दोहराया सवाल था शहर में कितने कौवे हैं? बीरबल तुरंत मुस्कुराए और अकबर के पास गए उन्होंने उत्तर की घोषणा की उनका जवाब था की नगर में इक्कीस हजार पांच सौ तेईस कौवे हैं। यह पूछे जाने पर कि वह उत्तर कैसे जानते हैं तब बीरबल ने उत्तर दिया अपने आदमियों से कौवे की संख्या गिनने के लिए कहें।

यदि अधिक मिले तो कौवे के रिश्तेदार उनके पास आस पास के शहरों से आ रहे होंगे। यदि कम हैं तो हमारे शहर के कौवे शहर से बाहर रहने वाले अपने रिश्तेदारों के पास जरूर गए होंगे। यह जवाब सुनकर राजा को काफ़ी संतोष मिला इस उत्तर से प्रसन्न होकर अकबर ने बीरबल को एक माणिक और मोती की जंजीर भेंट की वहीं उन्होंने बीरबल की बुद्धि की काफ़ी प्रसंशा करी।

29. कुत्ता और हड्डी की मजेदार कहानियां

बहुत समय पहले की बात है एक बार एक कुत्ता था जो खाने की तलाश में रात दिन सड़कों पर घूमता रहता था। एक दिन की बात है उसे एक बड़ी रसीली हड्डी मिली और उसने तुरंत उसे अपने मुंह के बीच में पकड़ लिया और घर की ओर ले गया। घर के रास्ते में उसने एक नदी पार करनी पड़ी। वहाँ उसने गौर किया की एक और कुत्ता ठीक उसी के तरफ़ ही देख रहा था वहीं जिसके मुंह में भी एक हड्डी थी।

इससे इस कुत्ते के मन में लालच उत्पन्न हुई और वह उस हड्डी को अपने लिए चाहने लगा। लेकिन जैसे ही उसने अपना मुंह खोला जिस हड्डी को वह काट रहा था। वह नदी में गिर गई और डूब गई ऐसा इसलिए हुआ क्यूँकि वो दूसरा कुत्ता और कोई नहीं बल्कि उसकी ही परछायी थी। जो की उसे पानी में दिख रहा था अब जब की उसके मुँह की हड्डी गिर चुकी थी पानी में इसलिए उस रात वह भूखा ही रहा और अपने घर चला गया।

कुत्ता और हड्डी की मजेदार कहानियां

30. चतुर खरगोश की मजेदार कहानियां

किसी जंगल में एक शेर रहता था। वह जंगल में रहने वाले सभी जानवरों को मरकर खा जाता था इसी कारण से जंगल के सभी जीव जन्तुओ को शेर से डर लगता था। एक बार सभी जानवरों ने शेर के साथ मिलकर समझौता कर लिया की अपनी बारी से शेर के पास पहुच जाता है और दुसरे जानवर बिना डर के जंगल में घूमते हैं। एक बार खरगोश की बारी आई वह धीरे धीरे शेर के पास जा ही रहा था कि अचानक रास्ते में उसे एक तरकीब सूझी और वो बहुत देर करके शेर के पास पंहुचा शेर भूखा होने के कारण बैचन अपनी गुफा के चक्कर लगा रहा था। खरगोश को देखकर शेर गरजा और बोला अरे खरगोश तुम इतनी देर से क्यों आये हो यहाँ भूख से मेरी जान निकली जा रही थी। खरगोश बोला महाराज हम पांच भाई आपकी सेवा के लिए आ ही रहे थे कि परन्तु रस्ते में एक दूसरा शेर मिल गया वह बोला कि वह जंगल का राजा है।

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निष्कर्ष 

आपको आज का हमारा यह मजेदार कहानियां का आर्टिकल जरुर पसंद आया होगा। हमने आपको हिंदी नैतिक कहानियां दी गयी है। मुझे उम्मीद है कि आपको हमारे द्वारा लिखी गईं यह सभी कहानियां बहुत पसंद आयी होगी। अगर आपको हमारा यह आर्टिकल पसंद आया हो तो इसे अपने दोस्तों में ज्यादा ज्यादा शेयर करें क्योंकि ताकि उन्हें भी शेयर मार्केट से करोड़पति कैसे बनें? इसके बारे में इस आर्टिकल को पढ़कर जानकारी प्राप्त हो सके। अगर आपको रोजाना यूज फुल आर्टिकल चाहिए तो हमारी नॉलेज वेबस वेबसाइट को हमेशा विजिट करते रहें। दोस्तों एक बार हमें कमेंट करके जरुर बताएं आपको हमारा यह आर्टिकल कैसा लगा धन्यवाद।

 

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